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UPI या डिजिटल भुगतान लेने में क्यों संकोच रहे हैं छोटे कारोबारी? जानिए GST नोटिस की असली वजह और समाधान

🖊️ लेखक: CryptoBuzz लेखक टीम | प्रकाशित: 26 जुलाई 2025 | समय: 08:30 AM

No Upi Cash Only Why South India Traders Rejecting Upi payment
No Upi Cash Only Why South India Traders Rejecting Upi payment

भारत में डिजिटल पेमेंट सिस्टम, खासकर UPI (Unified Payments Interface), ने पिछले कुछ वर्षों में अभूतपूर्व विकास किया है। इसने हर तबके के व्यापारी और ग्राहक के बीच लेनदेन को आसान बना दिया है। लेकिन हाल ही में एक नया ट्रेंड देखने को मिल रहा — कई छोटे दुकानदार UPI या अन्य डिजिटल पेमेंट लेने से कतरा रहे हैं। वे अक्सर सीधे कहते हैं: “सिर्फ कैश ही लेंगे।” आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? क्या इसके पीछे GST का डर है, या कोई और कारण?यह लेख बताएगा कि UPI क्या है, छोटे व्यापारियों की इस हिचक के पीछे की वजहें क्या हैं, GST का इससे क्या संबंध है, और व्यापारी इस स्थिति से कैसे निपट सकते हैं।

UPI क्या है और यह कैसे काम करता है?

UPI यानी यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस एक डिजिटल भुगतान प्रणाली है जो किसी भी दो बैंक खातों के बीच तत्काल पैसे ट्रांसफर करने की सुविधा देती है। इसका संचालन नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) करता है।

UPI की मदद से कोई भी व्यक्ति केवल मोबाइल ऐप की सहायता से QR स्कैन करके, VPA (Virtual Payment Address) डालकर या मोबाइल नंबर के जरिए सेकंडों में पेमेंट कर सकता है। आज UPI इतना पॉपुलर हो चुका है कि सब्जीवाले, पान की दुकान, चाट विक्रेता से लेकर बड़े रिटेल स्टोर्स तक सभी इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन अब यही डिजिटल पेमेंट कुछ दुकानदारों के लिए चिंता का कारण बन गया है।

छोटे व्यापारी डिजिटल पेमेंट से क्यों डर रहे हैं?

छोटे व्यापारियों में यह हिचक कई कारणों से पनपी है:

  1. GST नोटिस मिलने का डर:
    कई छोटे व्यापारियों में यह धारणा बन गई है कि यदि वे UPI या डिजिटल पेमेंट स्वीकार करते हैं और उनकी सालाना बिक्री एक निश्चित सीमा (लाखों में) तक पहुंचती है, तो GST विभाग उनकी गतिविधियों पर नज़र रख सकता है। हाल ही में, कर्नाटक जैसे राज्यों में छोटे कारोबारियों ने राज्यव्यापी बंद का आयोजन किया था, उनका आरोप था कि गोलगप्पे या इडली-डोसा बेचने वालों तक को भी GST नोटिस जारी किए जा रहे हैं।
  2. डिजिटल रिकॉर्ड और नज़र:
    जब ग्राहक UPI से भुगतान करता है, तो उसका डिजिटल रिकॉर्ड सीधा बैंक में बन जाता है। यदि किसी दुकानदार का बैंक खाता लाखों की UPI एंट्री दिखा रहा है, तो विभाग को संदेह हो सकता है कि वह व्यापारी GST के योग्य होने के बावजूद पंजीकरण नहीं करवा रहा है। तमिलनाडु के एक गोलगप्पे विक्रेता को मिले GST नोटिस की खबर ने भी इस डर को हवा दी, जहां उसकी लाखों की डिजिटल बिक्री विभाग की नजर में आ गई थी।
  3. कैश लेनदेन को सुरक्षित समझना:
    कई दुकानदारों को लगता है कि नकदी लेने पर उनकी कुल बिक्री का सही अनुमान लगाना मुश्किल होगा, जबकि डिजिटल लेनदेन सीधे बैंक में दर्ज होता है। इसी मानसिकता के कारण बेंगलुरु के कई इलाकों में अब दुकानों पर “UPI नहीं, सिर्फ कैश” जैसे बोर्ड दिख रहे हैं।

अधिकारियों का दबाव और अफवाहों का असर

बेंगलुरु स्ट्रीट वेंडर्स एसोसिएशन जैसे संगठनों ने आरोप लगाया है कि GST विभाग के अधिकारी छोटे दुकानदारों को बेवजह परेशान कर रहे हैं, जिससे तंग आकर वे डिजिटल भुगतान से दूरी बना रहे हैं। इसके अलावा, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और गुजरात जैसे कुछ राज्यों द्वारा UPI ऐप्स और पेमेंट कंपनियों से छोटे व्यापारियों के वार्षिक टर्नओवर का डेटा मांगने की खबरें भी आई हैं, जिससे यह डर और गहरा गया है कि जल्द ही अधिक नोटिस आ सकते हैं।

सिर्फ सरकारी दबाव ही नहीं, अफवाहें भी इस डर को बढ़ा रही हैं। दिल्ली-NCR के कई छोटे दुकानदारों में यह गलतफहमी फैल गई है कि UPI से ज्यादा पेमेंट लेने पर तुरंत GST का नोटिस आ जाएगा, भले ही वे तय सीमा के अंदर हों।

GST से परे अन्य व्यावहारिक चिंताएं

GST के डर के अलावा, कुछ अन्य व्यावहारिक कारण भी हैं जिनकी वजह से छोटे कारोबारी डिजिटल पेमेंट से बचते हैं:

  • भुगतान में देरी: अक्सर डिजिटल पेमेंट तुरंत खाते में नहीं आते। पेमेंट कंपनियों की क्लियरिंग प्रक्रिया में कई बार कुछ दिन लग जाते हैं, जिससे छोटे कारोबारियों का काम रुक सकता है क्योंकि उनकी पूंजी अटक जाती है।
  • प्रोसेसिंग फीस: डिजिटल पेमेंट स्वीकार करने पर कंपनियां एक छोटा सा हिस्सा प्रोसेसिंग फीस के रूप में काट लेती हैं, जिससे व्यापारी को पूरी राशि नहीं मिलती।
  • तकनीकी जानकारी का अभाव: कुछ दुकानदार डिजिटल तकनीक को पूरी तरह से समझ नहीं पाते या उसका प्रबंधन नहीं कर पाते।
  • ट्रांजैक्शन फेलियर: ट्रांजैक्शन फेल होने या ग्राहक को पैसे वापस करने में आने वाली दिक्कतें भी उन्हें डिजिटल पेमेंट से दूर रखती हैं।

क्या सभी को GST देना जरूरी है? भ्रम और हकीकत

नहीं, हर व्यापारी को GST देना जरूरी नहीं होता। सरकार के नियमों के अनुसार:

  • यदि आप सामान (Goods) बेचते हैं और आपका सालाना टर्नओवर ₹40 लाख से कम है, तो GST रजिस्ट्रेशन अनिवार्य नहीं है।
  • यदि आप सेवाएं (Services) देते हैं और आपका सालाना टर्नओवर ₹20 लाख से कम है, तब भी आपको GST रजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं।

महत्वपूर्ण बात: यह टर्नओवर में कैश और डिजिटल दोनों तरह के पेमेंट शामिल होते हैं। केवल पेमेंट का माध्यम बदल लेने से कोई फायदा नहीं होगा।

सबसे बड़ा भ्रम: “UPI लोगे तो टैक्स देना पड़ेगा!”

यह एक आधा-अधूरा सच है। असल में, UPI लेने से GST तभी देना पड़ेगा जब आपका सालाना कारोबार सरकारी तय सीमा से ज्यादा हो जाए। अगर आप सीमा के नीचे हैं, तो आप निश्चिंत रहें। लेकिन फिर भी, अगर नोटिस आता है, तो उसका जवाब उचित दस्तावेज देकर दिया जा सकता है।

GST: दुकानदार नहीं, ग्राहक चुकाते हैं!

केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अधिकारी इस बात पर जोर देते हैं कि GST का भुगतान कारोबारी या दुकानदार नहीं करते हैं। यदि कोई दुकानदार GST चुकाता है तो उसका भुगतान तो ग्राहक करता है जिसने वह सामान खरीदा है। दुकानदार या कारोबारी तो सिर्फ एक माध्यम है जो ग्राहक से GST वसूल कर उसे GST विभाग के पास जमा करता है।

इसलिए कारोबारियों को GST रजिस्ट्रेशन या भुगतान संबंधी डर को दूर कर लेना चाहिए। GST दुकानदारों के लिए बोझ नहीं है, वे तो सिर्फ ग्राहकों से इसे वसूल कर GST विभाग के खाते में जमा करते हैं।

क्यों डिजिटल पेमेंट स्वीकारना फिर भी फायदेमंद है?

डर के बावजूद, डिजिटल पेमेंट स्वीकारना कई मायनों में व्यापारियों के लिए फायदेमंद है:

  • पारदर्शिता और ग्राहक का भरोसा: जब दुकानदार डिजिटल पेमेंट स्वीकार करता है, तो ग्राहक को भरोसा होता है कि वह ईमानदारी से कारोबार कर रहा है। इससे लॉन्ग टर्म में व्यापार बढ़ता है।
  • भविष्य में लोन और स्कीम्स के लिए फायदेमंद: डिजिटल ट्रांजेक्शन का रिकॉर्ड भविष्य में बैंकों या सरकार की स्कीम्स में मदद कर सकता है, जैसे मुद्रा लोन, सब्सिडी या बिज़नेस क्रेडिट लाइन।
  • कैश की गिनती और रिस्क कम: डिजिटल पेमेंट में न तो नकली नोट का डर होता है और न ही कैश गिनने या रखने की झंझट। सुरक्षा और सुविधा दोनों मिलती है।

व्यापारी क्या कर सकते हैं? समाधान

छोटे व्यापारियों को इस डर और भ्रम से निकलने के लिए कुछ कदम उठाने चाहिए:

  • व्यापार और व्यक्तिगत खातों (पर्सनल अकाउंट) अलग रखें: ताकि UPI से आया पैसा स्पष्ट रूप से ट्रैक हो सके कि वह व्यापार से संबंधित है या नहीं।
  • बिक्री का रिकॉर्ड रखें: भले ही आप GST के दायरे में न हों, पर अपनी बिक्री की गणना सही और व्यवस्थित तरीके से करें।
  • GST जागरूकता अभियान से जुड़ें: समय-समय पर सरकार और ट्रेड एसोसिएशन GST के लिए कार्यशालाएं आयोजित करते हैं, उनमें भाग लें।
  • डरें नहीं, समझें: विभाग का मुख्य मकसद टैक्स चोरी रोकना है, न कि ईमानदार व्यापारियों को परेशान करना। यदि नोटिस आता है, तो शांत रहें और सही जानकारी व दस्तावेज़ों के साथ जवाब दें।
  • सही पेमेंट ऐप चुनें: उन ऐप्स और कंपनियों का चयन करें जो समय पर भुगतान क्लियर करती हैं और जिनकी ग्राहक सेवा अच्छी हो।

निष्कर्ष

छोटे दुकानदारों का UPI से दूरी बनाना उनके डर, भ्रम और कुछ व्यावहारिक चुनौतियों की वजह से है। लेकिन सही जानकारी, नियमों को समझने और प्रक्रियाओं को अपनाने से वे इस डर को दूर कर सकते हैं। सरकार का उद्देश्य टैक्स नियमों का पालन कराना है, न कि व्यापारियों को परेशान करना। ऐसे में हर व्यापारी को जागरूक होना, नियमों को समझना और डिजिटल सिस्टम के साथ तालमेल बिठाना जरूरी है ताकि वे आधुनिक अर्थव्यवस्था का लाभ उठा सकें।

डिस्क्लेमर: यह लेख पब्लिक डोमेन में उपलब्ध जानकारियों और मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल सूचना प्रदान करना है और यह किसी प्रकार की आधिकारिक घोषणा का स्थानापन्न नहीं है।

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