🖊️ लेखक: CryptoBuzz लेखक टीम | प्रकाशित: 19 जुलाई 2025 | समय: 08:00 AM
यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध में एक बड़ा मोड़ तब आया, जब यूक्रेनी सेना ने रूस की सबसे उन्नत वायु सुरक्षा प्रणाली, S-400, को सफलतापूर्वक निष्क्रिय कर दिया। इस घटना ने न सिर्फ रूस की सैन्य प्रतिष्ठा को झटका दिया, बल्कि वैश्विक सैन्य रणनीतियों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया कि आधुनिक तकनीक भी अचूक नहीं है।
इस मिशन से जुड़े एक प्रमुख यूक्रेनी अधिकारी, जिनका कोडनेम ‘शैडो’ था, ने खुलासा किया कि इस ऑपरेशन की नींव हफ्तों पहले ही रख दी गई थी। शुरुआत उपग्रह डेटा से हुई, जिसमें एक विशेष क्षेत्र में S-400 सिस्टम की गतिविधि दर्ज की गई। इसके बाद स्थानीय खुफिया नेटवर्क ने पुष्टि की कि उस स्थान पर रूसी इंजीनियर Almaz-Antey की टीम मरम्मत कार्य में लगी हुई थी — यानी यह प्रणाली पूरी तरह एक्टिव नहीं थी। यह जानकारी यूक्रेनी सेना के लिए निर्णायक साबित हुई।
सबसे बड़ी चुनौती थी रूस की इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर क्षमताओं को पार करना। Krasukha-4 और Repellent-1 जैसे सिस्टम GPS सिग्नलों को निष्क्रिय कर सकते थे। यूक्रेन ने इसका समाधान निकाला — उन्होंने झूठे GPS संकेतों वाले स्पेशल ड्रोन तैनात किए, जिससे रूसी सिस्टम भ्रमित हो गया। इसके साथ ही, वास्तविक GPS निर्देशित मिसाइलों का मार्ग साफ हो गया।
फिर आया निर्णायक क्षण। HIMARS सिस्टम के जरिए यूक्रेन ने तीन ATACMS मिसाइलें दागीं:
सारी कार्रवाई इतनी तेजी से हुई कि रूसी सुरक्षाबल प्रतिक्रिया तक नहीं दे सके। यूक्रेनी टीम ऑपरेशन स्थल से लगभग 80 किलोमीटर दूर सुरक्षित ठिकाने से मिशन को मॉनिटर कर रही थी।
हमले की खबर तेजी से फैली, और मीडिया में यह छवि बन गई कि यूक्रेन ने एक ऑपरेशनल S-400 सिस्टम को उड़ा दिया है। बाद में यह सामने आया कि सिस्टम उस समय मरम्मत में था। बावजूद इसके, यह हमला रूस के “अजेय” कहे जाने वाले डिफेंस तंत्र के लिए एक बड़ा झटका था। कई रूसी रक्षा विश्लेषकों और ब्लॉगर्स ने अपनी ही सेना की रणनीतिक चूक को सार्वजनिक रूप से उजागर किया। वहीं यूक्रेनी जनता और सेना ने इस सफलता को एक राष्ट्रीय गौरव के रूप में मनाया।
भारत ने रूस से S-400 मिसाइल प्रणाली की बड़ी डील की थी, और इसकी शुरुआती इकाइयाँ देश में तैनात भी हो चुकी हैं। यूक्रेन की इस रणनीतिक सफलता ने भारत जैसे देशों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि भविष्य के युद्ध सिर्फ मिसाइलों और राडार सिस्टम पर नहीं, बल्कि इलेक्ट्रॉनिक सुरक्षा, मल्टी-लेयर प्रोटेक्शन और GPS सिग्नल सुरक्षा भी जरूरी है। भारत को अपने सिस्टम को सिर्फ हार्डवेयर नहीं, बल्कि साइबर और इलेक्ट्रॉनिक रूप से भी मजबूत बनाना होगा।
यूक्रेन का यह ऑपरेशन केवल एक सैन्य जीत नहीं, बल्कि तकनीकी चतुराई और रणनीतिक प्लानिंग का उदाहरण है। इस घटना ने दिखा दिया कि महंगे और हाई-टेक हथियार भी तभी तक असरदार हैं जब तक उनके आसपास का सुरक्षा तंत्र मजबूत है। भविष्य के युद्धों में जीत केवल गोला-बारूद से नहीं, बल्कि डाटा, डिसीजन और डिजिटली रणनीति से होगी।
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