🖊️ लेखक: CryptoBuzz लेखक टीम | प्रकाशित: 15 अगस्त 2025 | समय: 08:30 AM

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा हाल ही में भारत पर टैरिफ बढ़ाने की घोषणा ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार जगत का ध्यान अपनी ओर खींचा है। एक तरफ अमेरिका ने भारत पर कुल 50% टैरिफ लागू करने की योजना बनाई है, तो दूसरी तरफ भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौता (BTA) की बातचीत तेजी से आगे बढ़ रही है।
यह विरोधाभास संकेत देता है कि दोनों देशों के बीच रिश्तों में तनाव के बावजूद व्यापार और रणनीति का संतुलन साधने का प्रयास जारी है। भारत अपनी चालें सोच-समझकर चल रहा है और उसने अभी अपने सभी पत्ते खुलकर नहीं रखे हैं।
भारत ने इस कदम का सीधा विरोध करने के बजाय रणनीतिक धैर्य का रास्ता अपनाया है।
वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल के अनुसार, BTA की बातचीत “सही दिशा” में है और पहला चरण (Phase-1) सितंबर-अक्टूबर 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है।
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि टैरिफ लागू होने से पहले और बाद में भारत के निर्यात में कोई भारी गिरावट नहीं आई है:
यह बताता है कि भारतीय निर्यातक नए बाजार खोजने और उत्पाद विविधीकरण के जरिए टैरिफ के असर को सीमित करने में सफल रहे हैं।
भारत ने इस पूरे विवाद में कई मोर्चों पर कदम उठाए हैं:
चीन के साथ संबंधों में सुधार के संकेत देकर अमेरिका को यह संदेश दिया गया है कि भारत के पास विकल्प मौजूद हैं। यह कदम अमेरिका पर अप्रत्यक्ष दबाव डालने का हिस्सा है।
भारत विभिन्न देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) को तेज़ी से पूरा करने में जुटा है ताकि अमेरिकी बाजार पर निर्भरता कम की जा सके।
राज्य सरकारों को निर्यातकों के लिए लॉजिस्टिक्स सपोर्ट, GST रिफंड में तेजी, और इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार के निर्देश दिए गए हैं।
| अवधि | भारत का अमेरिका को निर्यात (अरब डॉलर में) | वृद्धि % |
|---|---|---|
| अप्रैल-जुलाई 2024 | 27.57 | – |
| अप्रैल-जुलाई 2025 | 33.53 | 17.8% |
| जून 2025 | 8.3 | – |
| जुलाई 2025 | 8.01 | 7.3% |
ये आंकड़े दर्शाते हैं कि भारत सिर्फ टैरिफ पर निर्भर नहीं है, बल्कि वैश्विक बाजार में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए सक्रिय रणनीतियां अपना रहा है।
भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्ते आर्थिक साझेदारी से कहीं अधिक भू-राजनीतिक समीकरणों पर आधारित हैं। ट्रंप का कड़ा रुख और भारत का संतुलित जवाब इस बात का प्रमाण है कि दोनों देश एक-दूसरे की अहमियत को समझते हैं, लेकिन अपने-अपने हितों के साथ कोई समझौता नहीं करेंगे।
भारत की वर्तमान रणनीति—टैरिफ के बीच भी निर्यात बढ़ाना, नए बाजार खोजना और भू-राजनीतिक संतुलन बनाए रखना—आने वाले समय में न केवल अमेरिका के साथ डील को संभव बनाएगी, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की नेगोशिएशन पावर भी मजबूत करेगी।
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