🖊️ लेखक: CryptoBuzz लेखक टीम | प्रकाशित: 22 जुलाई 2025 | समय: 07:30 AM
जानिए भारत कैसे नेपाल, श्रीलंका और मालदीव में अपने रिश्ते मज़बूत कर चीन की रणनीति को चुनौती दे रहा है। पढ़ें पूरा विश्लेषण।
दक्षिण एशिया में भारत एक बार फिर से सक्रिय कूटनीतिक रणनीति के तहत अपने पड़ोसी देशों से रिश्तों को मज़बूत कर रहा है। श्रीलंका और मालदीव जैसे देशों के साथ संबंधों को बेहतर बनाने के बाद अब भारत की नज़र नेपाल पर है। इसका बड़ा मकसद क्षेत्र में चीन की बढ़ती पकड़ को संतुलित करना है। यह रणनीति न केवल भारत के क्षेत्रीय प्रभाव को बढ़ा रही है, बल्कि चीन के लिए भी नई चुनौतियाँ खड़ी कर रही है।
पिछले एक साल में, भारत ने मालदीव और श्रीलंका के साथ कूटनीतिक, सैन्य और आर्थिक स्तर पर कई अहम कदम उठाए हैं। मालदीव में भारत ने कनेक्टिविटी और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में महत्वपूर्ण निवेश किया है, जैसे कि ग्रेटर मेल कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट (GMCP)। वहीं, श्रीलंका को आर्थिक संकट से उबारने के लिए भारत ने वित्तीय सहायता और ऋण पुनर्गठन में अग्रणी भूमिका निभाई है। दोनों देशों के साथ रक्षा सहयोग और संयुक्त सैन्य अभ्यास भी बढ़ाए गए हैं। इन कदमों के परिणामस्वरूप, मालदीव और श्रीलंका ने अब चीन से दूरी बनाना शुरू कर दिया है, जिससे बीजिंग की चिंता बढ़ रही है। इन देशों में अब भारत की छवि एक भरोसेमंद और सहयोगी पड़ोसी के रूप में उभर रही है।
अब भारत की रणनीति का अगला केंद्र बिंदु नेपाल है। केपी शर्मा ओली एक बार फिर नेपाल के प्रधानमंत्री बने हैं और उन्होंने भारत के साथ संबंधों को बेहतर करने के स्पष्ट संकेत दिए हैं। उनकी सितंबर में भारत यात्रा की संभावना जताई जा रही है, और वे प्रधानमंत्री मोदी को भी नेपाल आने का न्योता दे सकते हैं। ओली का यह बदला हुआ रुख इस क्षेत्र में भारत की बढ़ती ताकत का संकेत है।
हाल ही में एक इंटरव्यू में, ओली ने कहा कि भारत यात्रा कोई “बड़ी बात” नहीं है, बल्कि यह दोनों देशों के लिए जरूरी है। उन्होंने भारत और नेपाल के बीच किसी भी मनमुटाव की बात को नकारा और दोनों देशों के रिश्तों को मजबूत करने की इच्छा जताई। यह रुख उनके पहले कार्यकाल के बिलकुल उलट है, जब वे पूरी तरह चीन की ओर झुके हुए थे और कालापानी सीमा विवाद जैसे मुद्दों पर काफी मुखर थे। उनका यह बदला हुआ व्यवहार दर्शाता है कि नेपाल भी अब क्षेत्रीय संतुलन में भारत की भूमिका को पहचान रहा है।
नेपाल, श्रीलंका और मालदीव में भारत के बढ़ते प्रभाव से चीन को कूटनीतिक झटके लग रहे हैं। पहले श्रीलंका, फिर मालदीव, और अब नेपाल ने चीन की बजाय भारत से नज़दीकियां बढ़ाना शुरू कर दिया है। चीन की “स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स” रणनीति, जिसका उद्देश्य हिंद महासागर क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाना था, अब भारत की सक्रिय कूटनीति के कारण कमजोर पड़ती दिख रही है। ये देश अब चीन के भारी-भरकम ऋण जाल और कम पारदर्शी परियोजनाओं से बचना चाहते हैं, और भारत को एक विश्वसनीय विकल्प के रूप में देख रहे हैं।
भारत और नेपाल के बीच 9 साल बाद गृह सचिव स्तर की वार्ता फिर से शुरू हो रही है। इस वार्ता में प्रत्यर्पण संधि, खुफिया जानकारी का आदान-प्रदान, सीमा विवाद, नशीले पदार्थों की तस्करी और सीमा पार अपराध जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा होगी। यह दोनों देशों के लिए सहयोग बढ़ाने और द्विपक्षीय संबंधों में विश्वास बहाल करने का एक महत्वपूर्ण मौका है। यह वार्ता न केवल सुरक्षा सहयोग बढ़ाएगी, बल्कि भविष्य में आर्थिक और सामाजिक संबंधों को भी गति देगी।
भारत ने अपने पड़ोसी देशों के साथ मजबूत रिश्तों के ज़रिए एक बार फिर दक्षिण एशिया में अपने नेतृत्व की छवि को स्थापित किया है। नेपाल की मौजूदा राजनीति भारत के पक्ष में जाती दिख रही है, जिससे चीन को इस क्षेत्र में पीछे हटना पड़ सकता है। आने वाले महीनों में यह रणनीति और भी अधिक स्पष्ट हो सकती है, जो क्षेत्रीय स्थिरता और भारत के रणनीतिक हितों के लिए महत्वपूर्ण होगी। यह दिखाता है कि भारत अब केवल प्रतिक्रिया देने वाला नहीं, बल्कि सक्रिय रूप से क्षेत्रीय समीकरणों को प्रभावित करने वाला देश बन गया है।
प्रश्न: केपी शर्मा ओली भारत कब आ सकते हैं?
उत्तर: संभावित रूप से सितंबर 2025 में वे दो दिवसीय यात्रा पर भारत आ सकते हैं।
प्रश्न: क्या नेपाल अब चीन से दूरी बना रहा है?
उत्तर: हां, ओली के बदले हुए रुख से साफ है कि नेपाल अब भारत के साथ रिश्ते बेहतर करना चाहता है।
प्रश्न: भारत की ‘पड़ोसी पहले’ नीति क्या है?
उत्तर: यह भारत की विदेश नीति है जिसमें अपने आसपास के देशों को प्राथमिकता दी जाती है और उनके साथ संबंध मजबूत किए जाते हैं।
प्रश्न: क्या चीन को इस रणनीति से नुकसान होगा?
उत्तर: हां, भारत के प्रभाव के बढ़ने से चीन की क्षेत्रीय पकड़ कमजोर पड़ सकती है, खासकर नेपाल, श्रीलंका और मालदीव जैसे देशों में।
डिस्क्लेमर: यह लेख विभिन्न न्यूज़ स्रोतों और रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें दी गई जानकारी को पूरी जांच-पड़ताल के बाद प्रस्तुत किया गया है, लेकिन किसी भी निर्णय से पहले अपने आर्थिक सलाहकार से परामर्श अवश्य करें।
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