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ICICI बैंक ने मिनिमम बैलेंस बढ़ाकर ₹50,000 किया – RBI गवर्नर की सफाई और पूरे मामले की कहानी

🖊️ लेखक: CryptoBuzz लेखक टीम | प्रकाशित: 12 अगस्त 2025 | समय: 08:30 AM

ICICI बैंक ने मिनिमम बैलेंस बढ़ाकर ₹50,000 किया
ICICI बैंक ने मिनिमम बैलेंस बढ़ाकर ₹50,000 किया

भारतीय बैंकिंग सेक्टर में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है। देश के दूसरे सबसे बड़े प्राइवेट बैंक, ICICI बैंक ने अपने नए बचत खातों के लिए मिनिमम मंथली एवरेज बैलेंस (MAB) में भारी बढ़ोतरी कर दी है। यह फैसला सिर्फ एक बैंक तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बैंकिंग जगत में एक नई बहस को जन्म दे रहा है कि क्या बैंक अब आम ग्राहकों की जगह सिर्फ अमीर ग्राहकों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

ICICI बैंक के नए नियम और उनका विस्तृत विश्लेषण

ICICI बैंक ने 1 अगस्त, 2025 से अपने बचत खातों के लिए न्यूनतम बैलेंस की शर्तों को बदल दिया है। यह फैसला केवल नए ग्राहकों पर लागू होगा, जिससे बैंक पुराने ग्राहकों को जोड़े रखना चाहता है। नए नियम इस प्रकार हैं:

  • मेट्रो/शहरी क्षेत्र: यहाँ मिनिमम बैलेंस को ₹10,000 से बढ़ाकर ₹50,000 कर दिया गया है। यह 400% की सीधी बढ़ोतरी है, जो मध्यम आय वर्ग के लिए एक बड़ी चुनौती है।
  • अर्ध-शहरी क्षेत्र: यहाँ भी मिनिमम बैलेंस ₹5,000 से बढ़ाकर ₹25,000 किया गया है। यह उन छोटे शहरों के लोगों के लिए मुश्किल हो सकता है जहाँ आय का स्तर शहरों की तुलना में कम है।
  • ग्रामीण क्षेत्र: ग्रामीण ग्राहकों के लिए यह शर्त ₹2,500 से बढ़ाकर ₹10,000 कर दी गई है। यह ग्रामीण बैंकिंग में वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) के प्रयासों को प्रभावित कर सकता है।

मिनिमम बैलेंस का इतिहास और ICICI बैंक की रणनीति

मिनिमम बैलेंस का कॉन्सेप्ट कोई नया नहीं है। पहले यह नियम RBI के दायरे में था, लेकिन अब RBI ने बैंकों को खुद इसे तय करने की स्वतंत्रता दे दी है। 2010 के दशक में ज्यादातर बैंकों में ₹5,000-₹10,000 तक का MAB हुआ करता था। लेकिन 2020 में SBI जैसे सरकारी बैंकों ने वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए यह नियम हटा दिया था।

ICICI बैंक का यह कदम एक स्पष्ट रणनीति की ओर इशारा करता है कि वह अब अपने बिज़नेस मॉडल को हाई-नेटवर्थ इंडिविजुअल (HNI) और प्रीमियम ग्राहकों पर केंद्रित कर रहा है। उच्च मिनिमम बैलेंस रखने से बैंक को कई फायदे होते हैं:

  • लिक्विडिटी में सुधार: खातों में ज्यादा पैसा होने से बैंक की लिक्विडिटी मजबूत होती है, जिसका उपयोग बैंक ऋण देने या निवेश करने में कर सकता है।
  • ऑपरेटिंग कॉस्ट में कमी: HNI ग्राहक आमतौर पर कम लेनदेन करते हैं और उन्हें व्यक्तिगत सेवाएं दी जाती हैं, जिससे बैंक की सामान्य परिचालन लागत कम होती है।
  • प्रीमियम सेवाओं की पेशकश: बैंक इन ग्राहकों को मुफ्त डेबिट कार्ड, ज्यादा ATM निकासी लिमिट, और बेहतर ब्याज दर जैसी प्रीमियम सेवाएं दे सकता है।

ग्राहकों पर आर्थिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव

ICICI बैंक का यह फैसला खासकर निम्न और मध्यम आय वर्ग के लिए चुनौतीपूर्ण है। भारत में लगभग 90% लोगों की मासिक आय ₹25,000 से कम है। ऐसे में ₹50,000 का बैलेंस बनाए रखना उनके लिए मुश्किल हो जाता है। अगर बैलेंस कम होता है, तो बैंक पेनल्टी लगाता है, जो शहरी क्षेत्रों में ₹500–₹750 प्रति माह तक हो सकता है। यह एक औसत परिवार के मासिक बजट पर सीधा बोझ है।

इस फैसले का मनोवैज्ञानिक असर भी हो सकता है। जिन ग्राहकों के पास पर्याप्त पैसा नहीं है, उन्हें यह महसूस हो सकता है कि वे बैंक के लिए महत्वपूर्ण नहीं हैं। यह उनके विश्वास को कम कर सकता है और उन्हें पब्लिक सेक्टर या छोटे फाइनेंस बैंकों की ओर रुख करने के लिए प्रेरित कर सकता है।

अन्य बैंकों से तुलना और ग्राहकों के लिए विकल्प

ICICI बैंक का यह फैसला अन्य बैंकों की नीतियों से बहुत अलग है।

बैंक का नामशहरी क्षेत्रअर्ध-शहरीग्रामीण
ICICI बैंक₹50,000₹25,000₹10,000
HDFC बैंक₹10,000₹5,000₹2,500
Axis बैंक₹12,000₹5,000₹2,500
Kotak बैंक₹10,000₹5,000₹2,000
SBIकोई MAB नहींकोई MAB नहींकोई MAB नहीं
PNB₹2,000₹2,000₹1,000

इस तुलना से साफ है कि ICICI बैंक का MAB देश में सबसे ज्यादा है। ऐसे में ग्राहकों के पास कई विकल्प हैं:

  1. सरकारी बैंक: SBI, PNB, और बैंक ऑफ बड़ौदा जैसे बैंकों में मिनिमम बैलेंस की शर्त बहुत कम या शून्य है।
  2. ज़ीरो बैलेंस अकाउंट: प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत खुलवाए गए खाते और डिजिटल सेविंग अकाउंट (Paytm, Airtel Payments Bank) में कोई MAB नहीं होता।
  3. छोटे फाइनेंस बैंक: Equitas और AU Small Finance Bank जैसे बैंक कम MAB के साथ-साथ बचत पर आकर्षक ब्याज दरें भी देते हैं।

RBI गवर्नर की प्रतिक्रिया: रेगुलेशन बनाम बिजनेस पॉलिसी

इस मुद्दे पर जब RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा से सवाल पूछा गया, तो उन्होंने कहा, “मिनिमम बैलेंस तय करना पूरी तरह से बैंक का अधिकार है, RBI इसमें दखल नहीं देता। कुछ बैंक इसे रखते हैं, कुछ ने हटा दिया है।”

RBI गवर्नर के इस बयान से यह साफ हो जाता है कि यह एक नियामक मुद्दा नहीं, बल्कि बैंक की व्यावसायिक नीति है। RBI बैंकों को यह तय करने की स्वतंत्रता देता है कि वे अपने संचालन को कैसे प्रबंधित करते हैं।

भविष्य की संभावनाएं और निष्कर्ष

ICICI बैंक का ₹50,000 मिनिमम बैलेंस नियम बैंकिंग सेक्टर में एक नया ट्रेंड सेट कर सकता है। यह कदम हाई-वैल्यू ग्राहकों के लिए फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि उन्हें बेहतर सेवाएं मिलेंगी। लेकिन, यह आम ग्राहकों के लिए बैंकिंग सेवाओं को कठिन बना सकता है।

आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या बाकी प्राइवेट बैंक भी इस राह पर चलते हैं, या फिर सरकारी और छोटे बैंक इस मौके का फायदा उठाकर बड़ी संख्या में ग्राहकों को अपनी तरफ खींचते हैं। यह फैसला निश्चित रूप से भारत में डिजिटल बैंकिंग और वित्तीय समावेशन के प्रयासों को एक नई दिशा देगा।

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