🖊️ लेखक: CryptoBuzz लेखक टीम | प्रकाशित: 12 अगस्त 2025 | समय: 08:30 AM

भारतीय बैंकिंग सेक्टर में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है। देश के दूसरे सबसे बड़े प्राइवेट बैंक, ICICI बैंक ने अपने नए बचत खातों के लिए मिनिमम मंथली एवरेज बैलेंस (MAB) में भारी बढ़ोतरी कर दी है। यह फैसला सिर्फ एक बैंक तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बैंकिंग जगत में एक नई बहस को जन्म दे रहा है कि क्या बैंक अब आम ग्राहकों की जगह सिर्फ अमीर ग्राहकों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
ICICI बैंक ने 1 अगस्त, 2025 से अपने बचत खातों के लिए न्यूनतम बैलेंस की शर्तों को बदल दिया है। यह फैसला केवल नए ग्राहकों पर लागू होगा, जिससे बैंक पुराने ग्राहकों को जोड़े रखना चाहता है। नए नियम इस प्रकार हैं:
मिनिमम बैलेंस का कॉन्सेप्ट कोई नया नहीं है। पहले यह नियम RBI के दायरे में था, लेकिन अब RBI ने बैंकों को खुद इसे तय करने की स्वतंत्रता दे दी है। 2010 के दशक में ज्यादातर बैंकों में ₹5,000-₹10,000 तक का MAB हुआ करता था। लेकिन 2020 में SBI जैसे सरकारी बैंकों ने वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए यह नियम हटा दिया था।
ICICI बैंक का यह कदम एक स्पष्ट रणनीति की ओर इशारा करता है कि वह अब अपने बिज़नेस मॉडल को हाई-नेटवर्थ इंडिविजुअल (HNI) और प्रीमियम ग्राहकों पर केंद्रित कर रहा है। उच्च मिनिमम बैलेंस रखने से बैंक को कई फायदे होते हैं:
ICICI बैंक का यह फैसला खासकर निम्न और मध्यम आय वर्ग के लिए चुनौतीपूर्ण है। भारत में लगभग 90% लोगों की मासिक आय ₹25,000 से कम है। ऐसे में ₹50,000 का बैलेंस बनाए रखना उनके लिए मुश्किल हो जाता है। अगर बैलेंस कम होता है, तो बैंक पेनल्टी लगाता है, जो शहरी क्षेत्रों में ₹500–₹750 प्रति माह तक हो सकता है। यह एक औसत परिवार के मासिक बजट पर सीधा बोझ है।
इस फैसले का मनोवैज्ञानिक असर भी हो सकता है। जिन ग्राहकों के पास पर्याप्त पैसा नहीं है, उन्हें यह महसूस हो सकता है कि वे बैंक के लिए महत्वपूर्ण नहीं हैं। यह उनके विश्वास को कम कर सकता है और उन्हें पब्लिक सेक्टर या छोटे फाइनेंस बैंकों की ओर रुख करने के लिए प्रेरित कर सकता है।
ICICI बैंक का यह फैसला अन्य बैंकों की नीतियों से बहुत अलग है।
| बैंक का नाम | शहरी क्षेत्र | अर्ध-शहरी | ग्रामीण |
|---|---|---|---|
| ICICI बैंक | ₹50,000 | ₹25,000 | ₹10,000 |
| HDFC बैंक | ₹10,000 | ₹5,000 | ₹2,500 |
| Axis बैंक | ₹12,000 | ₹5,000 | ₹2,500 |
| Kotak बैंक | ₹10,000 | ₹5,000 | ₹2,000 |
| SBI | कोई MAB नहीं | कोई MAB नहीं | कोई MAB नहीं |
| PNB | ₹2,000 | ₹2,000 | ₹1,000 |
इस तुलना से साफ है कि ICICI बैंक का MAB देश में सबसे ज्यादा है। ऐसे में ग्राहकों के पास कई विकल्प हैं:
इस मुद्दे पर जब RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा से सवाल पूछा गया, तो उन्होंने कहा, “मिनिमम बैलेंस तय करना पूरी तरह से बैंक का अधिकार है, RBI इसमें दखल नहीं देता। कुछ बैंक इसे रखते हैं, कुछ ने हटा दिया है।”
RBI गवर्नर के इस बयान से यह साफ हो जाता है कि यह एक नियामक मुद्दा नहीं, बल्कि बैंक की व्यावसायिक नीति है। RBI बैंकों को यह तय करने की स्वतंत्रता देता है कि वे अपने संचालन को कैसे प्रबंधित करते हैं।
ICICI बैंक का ₹50,000 मिनिमम बैलेंस नियम बैंकिंग सेक्टर में एक नया ट्रेंड सेट कर सकता है। यह कदम हाई-वैल्यू ग्राहकों के लिए फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि उन्हें बेहतर सेवाएं मिलेंगी। लेकिन, यह आम ग्राहकों के लिए बैंकिंग सेवाओं को कठिन बना सकता है।
आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या बाकी प्राइवेट बैंक भी इस राह पर चलते हैं, या फिर सरकारी और छोटे बैंक इस मौके का फायदा उठाकर बड़ी संख्या में ग्राहकों को अपनी तरफ खींचते हैं। यह फैसला निश्चित रूप से भारत में डिजिटल बैंकिंग और वित्तीय समावेशन के प्रयासों को एक नई दिशा देगा।
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