🖊️ लेखक: CryptoBuzz टीम | प्रकाशित: 15 जुलाई 2025 | समय: 8:00 AM
यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद जहां कई पश्चिमी देशों ने रूसी तेल पर प्रतिबंध लगा दिया, वहीं भारत ने अपने राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता देते हुए रूस से तेल आयात जारी रखा। नतीजा यह हुआ कि भारत के कुल तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी 40% से ज्यादा हो गई है। जनवरी से जून 2025 के बीच भारत ने रूस से प्रतिदिन 16.7 लाख बैरल क्रूड आयात किया, जो अब तक का सर्वाधिक है।
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने स्पष्ट किया कि भारत किसी अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा:
“हमारी ऊर्जा नीति राष्ट्रीय हितों पर आधारित है। भारत किसी भी बाहरी दबाव में आकर फैसले नहीं करता।”
यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका में एक प्रस्ताव पर चर्चा हो रही है जिसमें रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर 500% तक टैरिफ लगाने की बात की जा रही है।
रूस से सस्ते तेल की खरीदारी ने भारत में महंगाई पर नियंत्रण पाने में अहम भूमिका निभाई है। पुरी ने कहा कि अगर रूसी तेल सप्लाई से बाहर हो जाता और दुनिया को केवल खाड़ी देशों पर निर्भर रहना पड़ता, तो तेल की कीमतें $120 प्रति बैरल से ऊपर चली जातीं, जिससे वैश्विक संकट और गहरा हो सकता था।
हरदीप पुरी ने बताया कि भारत अब 40 देशों से कच्चा तेल आयात कर रहा है, जबकि पहले यह संख्या 27 थी। इससे भारत की आपूर्ति श्रृंखला मजबूत हुई है और कुछ ही देशों पर निर्भरता कम हुई है। इसके अलावा, सरकार ने देश के 33 करोड़ से अधिक परिवारों को विश्व में सबसे कम कीमत पर एलपीजी सिलेंडर उपलब्ध कराया है।
यूक्रेन युद्ध के बाद अमेरिका और यूरोपीय संघ ने रूसी तेल पर $60 प्रति बैरल की मूल्य सीमा तय की थी। इसके बावजूद कई यूरोपीय देश और खुद अमेरिका भी रूसी तेल खरीदते रहे। भारत ने हमेशा यह स्पष्ट किया है कि वह किसी भी अंतरराष्ट्रीय नियम का उल्लंघन नहीं कर रहा है, बल्कि वह वैश्विक तेल बाजार को स्थिर रखने में मदद कर रहा है।
हाल ही में वियना में हुए OPEC इंटरनेशनल सेमिनार में हरदीप पुरी ने कुवैत और नाइजीरिया के तेल मंत्रियों से मुलाकात की और ऊर्जा आपूर्ति को लेकर सकारात्मक बातचीत की। कुवैत भारत का छठा सबसे बड़ा क्रूड सप्लायर और चौथा सबसे बड़ा एलपीजी सोर्स है।
भारत की ऊर्जा नीति आज पहले से कहीं ज्यादा मजबूत और संतुलित है। रूस से तेल आयात को लेकर भारत ने जो रुख अपनाया है, वह न केवल आर्थिक रूप से फायदे का सौदा है, बल्कि यह ऊर्जा सुरक्षा की दिशा में एक बड़ा कदम भी है। आने वाले वर्षों में, भारत एनर्जी सेक्टर में आत्मनिर्भरता की ओर और तेजी से बढ़ेगा।
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🔒 डिस्क्लेमर: यह लेख सार्वजनिक स्रोतों और सरकार के बयानों पर आधारित है। इसमें दी गई जानकारी केवल सूचना के उद्देश्य से है।
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